विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास का कहना है कि यह अच्छी बात है कि महामारी के झटकों से उबर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिक तेजी से वृद्धि देखने को मिलेगी, जिसकी अगुवाई भारत, अमेरिका और चीन करेंगे।
विश्व बैंक भारत के संदर्भ में पहले भी कह चुका है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले एक साल में महामारी और लॉकडाउन के बाद आश्चर्यजनक रूप से वापसी की है और अन्य देशों के मुकाबले काफी आगे निकल गया है।
कारोबारी गतिविधियां खोल दी गई हैं और टीकाकरण अभियान भी व्यापक रूप से चल रहा है। इसका सकारात्मक असर आर्थिक वृद्धि पर देखने को मिलेगा और 2021-22 में आर्थिक वृद्धि दर 12.5 फीसदी तक पहुंच जाएगा। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में वृद्धि की अगुवाई में सहायक होगा।
आय में असमानता चिंता की बात
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की सालाना बैठक की शुरुआत में मालपास ने कहा, महामारी की वजह से कुछ देशों में लोगों की आय में असमानता तेजी से बढ़ी है। संक्रमण बढ़ने की वजह से उन देशों में टीकाकरण को लेकर भी चिंताएं हैं। मौजूदा हालात को देखते हुए टीकाकरण और औसत आय में असमानता कुछ देशों में और बढ़ सकती है।
उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में अंतर की वजह से गरीब देशों को अधिक ब्याज चुकाना पड़ रहा है। वहां ब्याज दरों में उतनी तेजी से कमी नहीं हुई है, जितनी वैश्विक स्तर पर हुई। इन मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है।
भारत का कर्ज-जीडीपी अनुपात 90 फीसदी : आईएमएफ
आईएमएफ ने कहा कि महामारी के दौरान 2020 में भारत का कर्ज बढ़कर जीडीपी का 90 फीसदी तक पहुंच गया, जो 2019 के आखिर में 74 फीसदी था। आईएमएफ के राजकोषीय मामलों के विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पाओलो मौरो ने कहा कि यह बहुत बड़ी वृद्धि है, लेकिन दूसरे विकासशील एवं विकसित देशों में भी यही हालात हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के मामले में हमें उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ यह अनुपात धीरे-धीरे नीचे आएगा और मध्यम अवधि में बेहतर आर्थिक वृद्धि के साथ यह घटकर 80 फीसदी पर आ जाएगा।
एक सवाल के जवाब में कहा, सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता लोगों और कंपनियों की मदद जारी रखना होना चाहिए। खासतौर से सबसे कमजोर लोगों की मदद पर ज्यादा जोर देना चाहिए।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी मंदी
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन जॉर्जीवा का कहना है कि दुनिया दूसरे विश्व के बाद सबसे बड़ी मंदी से जूझ रही है। हालांकि, सुरंग के अंत में रोशनी दिख रही है और इस सबसे बड़ी वैश्विक मंदी की भरपाई हो रही है। इस वजह से हमने वैश्विक अर्थव्यवस्था में वृद्धि के अपने अनुमान को बढ़ाकर 6 फीसदी तक कर दिया है।
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